सहारनपुर में बेदी कूलर गोदाम में भीषण आग, तीसरी मंजिल से कूदकर बचाई जान

गोदाम मालिक बेदी ने दावा किया है कि आग शॉर्ट सर्किट से लगी और केवल तीसरी मंजिल पर रखें बेस्ट कूलर पैड चलकर नष्ट हुए। उन्होंने यह भी कहा है कि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। परंतु उनके बेटे का कहना था कि काफी कूलर जल गए और लाखों का नुकसान हुआ है।

सहारनपुर में बेदी कूलर गोदाम में भीषण आग , तीसरी मंजिल से कूदकर बचाई जान 

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : सहारनपुर , उत्तर प्रदेश।

शहर के घंटाघर क्षेत्र की तंग गलियों में स्थित बेदी गली में बीते दिन एक कूलर गोदाम में लगी भीषण आग से हड़कंप मच गया।

आग लगने के बाद मौके पर दमकल विभाग की पांच गाड़ियां पहुंची जिन्होंने करीब 4 घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया।

घटना के समय गोदाम की तीसरी मंजिल पर 9 से 10 युवक कार्यरत थे। आज लगते ही कुछ युवक भाग निकले, जबकि कुछ को जान से बचाने के लिए तीसरी मंजिल से कूदना पड़ा।

वसीम नामक युवक के पैर में गंभीर चोट आई है। जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अगले दिन जब संवाददाता ने गली का दौरा किया तो पाया कि फिर से कूलरों की सजावट वैसे ही थी, जैसे कुछ हुआ ही न हों।

गोदाम मालिक बेदी ने दावा किया है कि आग शॉर्ट सर्किट से लगी और केवल तीसरी मंजिल पर रखें बेस्ट कूलर पैड जलकर नष्ट हुए।

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उन्होंने यह भी कहा कि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। परंतु उनके बेटे का कहना था कि काफ़ी कूलर जल गए और लाखों का नुकसान हुआ है। इस विरोधाभास ने संदेह को और गहरा कर दिया है।

आज के समय मलिक मौके पर नहीं थे। उन्होंने कहा कि सूचना मिलते ही वह और उनका बेटा दौड़ते हुए पहुंचे और चार सिलेंडरों की मदद से दीवार तोड़कर परिवार को बाहर निकाला।

स्थानीय निवासियों ने बताया कि यह गोदान केवल कबाड़ रखने की जगह नहीं, बल्कि दिल्ली से आने वाले माल को असेंबल कर कूलर तैयार कर बेचने का केंद्र है।

लोगों का दावा है कि सहारनपुर में कूलर कारोबार का सबसे बड़ा केंद्र यही है। वहीं कुछ लोग इसे सिर्फ गोदाम मानते है, जिससे स्थिति और अधिक अस्पष्ट हो जाती है।

पटना स्थल पर आज सपा नेता और पूर्व सांसद हाजी फजलुर रहमान , पूर्व विधायक ठाकुर वीरेंद्र सिंह , विधायक उमर अली खान और प्रदेश सचिव फैसल सलमानी पहुंचे। उन्होंने दुकानदार से मुलाकात की और हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया।

इस दौरान फायर सेफ्टी कर कहीं गंभीर सवाल उठे। गली संकरी होने के कारण फायर ब्रिगेड की गाड़ियां सीधे नहीं पहुंच पाई। आसपास की दुकानों में भी आग बुझाने के कोई यंत्र नहीं पाए गए हैं।

सूत्रों के अनुसार, यदि मालिक नुकसान मान लेता, तो उसे जीएसटी विभाग को जवाब देना पड़ता। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि नंबर दो के माल की असेंबली और बिक्री बड़े स्तर पर हो रही थी। यह हादसा उस पर पर्दा डालने का जरिया बन गया है।

इस घटना में कई बड़े सवाल उभरकर सामने आए हैं।

  1. अगर तीसरी मंजिल कबाड़ के लिए थी, तो वहां 9 -10 युवक क्या कर रहे थे?
  2. बीच की मंजिल पर परिवार रहता है, ऊपर गोदाम और नीचे दुकान – क्या यह सुरक्षित व्यवस्था है?
  3. रसोई में चार-चार सिलेंडर क्यों रखे गए थे?
  4. क्या गोदाम या दुकान का बीमा कराया गया था ? इस पर मालिक स्पष्ट उत्तर नहीं दे पाएं हैं।
  5. सहारनपुर के अन्य संकरी गलियों में बनी फैक्ट्रीयों में आग से बचाव के क्या उपाय हैं।

फायर विभाग की निष्क्रियता पर भी सवाल

सहारनपुर के फायर विभाग ने कभी ऐसी तंग गलियों में स्थित गोदाम और कारखानों की जांच की या नहीं?

क्या यह शहर बारूद के ढेर पर बैठा है?

कई जगह पटाखे की फैक्ट्रियां , असेंबलिंग यूनिट्स घनी आबादी में चल रही है।

फायर विभाग ऐसे क्षेत्रों की समय पर जांच क्यों नहीं करता?

इस हादसे ने न केवल एक बड़े कारोबारी केंद्र की सच्चाई पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि प्रशासन और फायर सेफ्टी की तैयारियों की पोल भी खोल दी है।

जरूरत है कि ऐसे सभी स्थानों की गहन जांच हो, सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू किया जाएं। ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुर्नवृत्ति न हों।

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