संविधान हमारे सामूहिक अस्मिता का आधार, गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का संबोधन।

जीवन मूल्य सदा से हमारे सभ्यता, संस्कृति का अंग है। राष्ट्रपति मुर्मू ने आगे कहा है कि न्याय, स्वतंत्रता, क्षमता, और बंधुता केवल सैद्धांतिक अवधारणा नहीं है, जिनका परिचय हमें आधुनिक युग में प्राप्त हुआ हो। यह जीवन मूल्य को सदा से ही हमारे सभ्यता और संस्कृति का अंग रहे हैं। भारत के गणतांत्रिक मूल्य का प्रतिबिंब हमारे संविधान सभा की संरचना में दिखाई देता है। सरकार ने जन कल्याण को नई परिभाषा दी है। सरकार ने जन कल्याण को नई परिभाषा देते हुए आवास और पेयजल जैसी बुनियादी जरूरतों को अधिकार माना गया है।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली ।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का संबोधन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76 वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को राष्ट्र को संबोधित किया। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि “मेरे प्यारे देशवासी नमस्कार! गणतंत्र दिवस के अवसर पर आप सबको हार्दिक बधाई देती हूं। विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में शामिल भारत को ज्ञान और विवेक का उद्गम माना जाता था, लेकिन भारत को एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा। आज के दिन सबसे पहले हम उन शूरवीरों को याद करते हैं, जिन्होंने मातृभूमि को विदेशी शासन की बेड़ियों से मुक्त करने के लिए बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दी।

इस वर्ष हम भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती मना रहे हैं। वे ऐसे अग्रणीय स्वाधीनता सेनानियों में शामिल ह जिनकी भूमिका को राष्ट्रीय इतिहास के संदर्भ में अब तक समुचित महत्व दिया जा रहा हैं।

जीवन मूल्य सदा से ही हमारी सभ्यता और संस्कृति का अंग है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आगे कहा है कि न्याय, स्वतंत्रता, क्षमता और बंधुता केवल सैद्धांतिक अवधारणाएं नहीं है, जिनका परिचय हमें आधुनिक युग में प्राप्त हुआ हो। यह जीवन मूल्य तो सदा से ही हमारी सभ्यता और संस्कृति का अंग रहे हैं। भारत के गणतांत्रिक मूल्यों का प्रतिबिंबित हमारी संविधान सभा की संरचना में दिखाई देता हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आगे कहा है कि सरकार ने जन कल्याण को नई परिभाषा दी है। जिसके अनुसार आवास और पेयजल जैसी बुनियादी जरूरतों को अधिकार माना गया है। प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति, अभ्युदय योजना द्वारा रोजगार और आमदनी के अवसर पर उत्पन्न करके अनुसूचित जातियों के लोगों कि गरीबों को तेजी से कम किया जा रहा है। सरकार ने वित्त के क्षेत्र में जिस तरह से प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है, वह एक मिसाल है। भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू करने का निर्णय सर्वाधिक उल्लेखनीय है।

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“एक राष्ट्र एक चुनाव” सुशासन लाने में सक्षम- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू……

राष्ट्रपति ने “एक राष्ट्र एक चुनाव” पहल की वकालत की हैं। उन्होंने कहा है कि इससे शासन में स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा। नीतिगत दुर्बलता को रोकने में मदद मिलेगी। संसाधनों का सदुपयोग होंगा और वित्तीय बोझ भी कम होंगा। इस पहल में देश में सुशासन स्थापित करने की क्षमता है।

इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा है कि हमारे परंपरा और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने तथा उनमें नई ऊर्जा का संचार करने के लिए संस्कृत के क्षेत्र में अनेक उत्साह जनक प्रयास किया जा रहे हैं। मुझे प्रसन्नता है कि गुजरात वडनगर में भारत के प्रथम पुरातात्विक अनुभावात्मक संग्रहालय का कार्य पूरा होने वाला है। शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शिक्षण माध्यम के रूप में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। बढ़ते आत्मविश्वास के साथ हम अनेक प्रयासों के बल पर अत्याधुनिक अनुसंधान में अपनी भागीदारी बढ़ा रहे हैं।

राष्ट्रपति ने मौके पर इसरो की उपलब्धियों और खिलाड़ियों के प्रदर्शन की भी सराहना की है। उन्होंने कहा है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने हाल के वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय प्रगति के बल पर अपना सिर ऊंचा करके भविष्य की और कदम बढ़ा रहे हैं। वर्ष 2024 में डी. गुकेश ने अब तक का सबसे कम उम्र का विश्व चैंपियन बनकर इतिहास रच दिया है।

देश के नाम पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा है कि आज के दिन हम गांधी जी के सपनों को साकार करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएंगे। मैं एक बार फिर आप सभी को गणतंत्र दिवस की बधाई देती हूं। देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले हमारे सैनिकों के साथ-साथ सीमाओं के भीतर देश को सुरक्षित रखने वाले पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को भी मैं बधाई देती हूं। न्यायपालिका, सिविल सेवाओं और विदेशों में हमारे मिशनों के सदस्यों को भी मैं बधाई देती हूं।

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