सेना में “गुर्जर रेजिमेंट” के गठन की मांग को दिल्ली हाई कोर्ट ने बताया विभाजनकारी, याचिका खारिज
यह याचिका रोहन बसोया ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि बेहतरीन लड़ाकू विरासत होने के बावजूद गुर्जरों के रेजिमेंट को मान्यता नहीं दी गई। जैसा कि सिख, जाट ,राजपूत, गोरखा और डोगरा समुदायों को दी गई।
सेना में “गुर्जर रेजिमेंट ” के गठन की मांग को दिल्ली हाई कोर्ट ने बताया विभाजनकारी , याचिका खारिज
- रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : नई दिल्ली।
दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय सेना में गुर्जर रेजिमेंट का गठन करने की मांग करने वाली याचिका सुनवाई करने से इनकार कर दिया हैं।
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने ऐसी मांग के लिए याचिका दाखिल करने पर याचिकाकर्ता को फटकार लगाया हैं।
उन्होंने कहा है कि यह पूरी तरह से विभाजनकारी है।
यह याचिका रोहन बसोया ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि बेहतरीन लड़ाकू विरासत होने के बावजूद गुर्जरों के रेजिमेंट को मान्यता नहीं दी गई, जैसे कि सिख, जाट, राजपूत, गोरखा और डोगरा समुदायों को दी गई।
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याचिका में कहा गया था कि इतिहास में भारतीय सेना में समुदाय आधारित रेजिमेंट को मान्यता देते हुए इसे बरकरार भी रखा है। गुर्जरों को इस सिस्टम से हटाना उनके प्रतिनिधित्व में असंतुलन पैदा करेगा।
ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन होंगा। गुर्जर रेजिमेंट के गठन से समान अवसर उपलब्ध होंगे।
सुनवाई के दौरान रोहन बसोया की ओर से पेश वकील से कोर्ट ने कहाहै कि आप चाहते हैं कि कोर्ट इसे लेकर परमादेश जारी करें।
परमादेश जारी करने के प्रारंभिक शर्तें क्या होती है ?
इसके लिए आपके पास देश के कानून या संविधान के मुताबिक कुछ अधिकार होने चाहिए।
किस कानून के तहत आप गुर्जर रेजिमेंट की मांग कर रहे हैं?
उसी कानून के तहत आपको अधिकार मिलेगा।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जनहित याचिका दायर करने के पहले कुछ रिसर्च करने की सलाह दी। कोर्ट की सलाह के बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से याचिका वापस ले ली हैं।
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