शिक्षक को 5 साल पहले कर दिया था सेवानिवृत्त, हाई कोर्ट ने बहाल करने का दिया आदेश।

याचिका की तरफ से यह तर्क दिया गया था कि सर्विस रिकॉर्ड में सुधार के लिए उसने विभागीय स्तर पर आवेदन दिया था। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रायपुर जिला पन्ना के प्राचार्य ने उनके जन्म तिथि के पुष्टि के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल को पत्र लिखा था। माध्यमिक शिक्षा मंडल की तरफ से बताया गया था कि उनकी जन्म तिथि 1 जुलाई 1965 है। इस संबंध में प्राचार्य द्वारा जिला संगठन जन जातीय कार्य विभाग को सूचित किया गया था।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार  जबलपुर (मध्य प्रदेश )।

सर्विस रिकॉर्ड के आधार पर 5 साल पहले जबरन सेवानिवृत्ति किए जाने को चुनौती देते हुए एक शिक्षक ने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार के तथा जस्टिस विवेक जैन ने पाया कि बिना किसी दस्तावेज़ प्रमाणित के सर्विस रिकॉर्ड में गलत जन्मतिथि अंकित की गई है। युगल पीठ ने अपील करता को शत- प्रतिशत वेतन के साथ बाहर किए जाने के आदेश जारी किए हैं।

शिक्षक ने अपनी अपील में कहा था कि उन्हें वास्तविक उम्र से 5 साल पहले जबरन किया गया सेवानिवृत।

यह भी पढें – मशहूर यतीम खाने पर शिया व़क्फ़ बोर्ड के चेयरमैन की नियत ख़राब, मौलाना कल्बे जवाद नाम की चादर ओढ़ छुपाते अपने गुनाह।

पन्ना निवासी हाकम सिंह गौङ की तरफ से दाखिल की गई अर्जी में कहा था कि इस साल 1988 में वह सहायक प्राध्यापक के रूप में नियुक्त हुए थे। साल 1994 में उन्हें पदोन्नति देते हुए वार्डन बना दिया गया था। सर्विस रिकॉर्ड के आधार पर उन्हें जून 2023 में सेवानिवृत्ति कर दिया गया। अपील में कहा गया था, कि उन्हें वास्तविक उम्र से 5 साल पहले जबरन सेवानिवृत्ति किया गया है। इसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

याचिका करता की तरफ से यह तर्क दिया गया था कि सर्विस रिकॉर्ड में सुधार के लिए उसने विभागीय पत्र आवेदन किया था। शासकीय सुधार माध्यमिक विद्यालय रायपुर जिला पन्ना के प्राचार्य ने उनकी जन्म तिथि के पुष्टि के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल को पत्र लिखा था। शिक्षा मंडल की तरफ से बताया गया था कि उनकी जन्म तिथि 1 जुलाई 1965 है। इस संबंध में प्राचार्य द्वारा जिला संगठन जनजाति कार्य विभाग को सूचित किया गया था। इसके बावजूद उन्हें नौकरी के पांच साल शेष रहते उन्हें सेवानिवृत्ति कर दिया गया था।

हाई कोर्ट ने कहा है कि यह सर्विस रिकॉर्ड में बिना किसी दस्तावेज़ के अपील करता की जन्म तिथि दर्ज करने की गलती का मामला है।

सरकार की तरफ से तर्क दिया गया है की अपील करता ने सेवा के अंतिम समय में जन्मतिथि में सुधार का आवेदन किया था। इसलिए वह किसी प्रकार के राहत पाने का हकदार नहीं है। युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला सेवा के अंतिम समय में सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज जन्म तिथि के सुधार का नहीं है। युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला सेवा के अंतिम समय में सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज तिथि के सुधार में बिना किसी दस्तावेज के अपील करता की जन्मतिथि दर्ज करने की गलती का है। शैक्षणिक दस्तावेज में उनकी जन्म तिथि का उल्लेख है युगल पीठ ने सुनवाई के बाद शिक्षक के पक्ष में फैसला दिया।

यह भी पढें – थाना बिलासपुर में चोरी के अभियोग में वांछित अभियुक्त को चोरी किए रुपये के साथ किया गिरफ़्तार।