शिक्षकों को रखने दे छड़ी, अनुशासन के लिए बेहद जरूरी, केरल HC का बड़ा फैसला।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर कोई शिक्षक किसी छात्र को हल्के चुटकी काटता है या धक्का मारता है और इसके पीछे कोई दुर्भावना नहीं थी तो वह कोई अपराधिक केस नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने बताया कि अगर शिक्षकों के ख़िलाफ़ ऐसा होता रहा, तो वह अपनी जिम्मेदारी को नहीं निभा पायेंगे।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली।
केरल हाई कोर्ट ने कहां की किसी शिक्षक के ख़िलाफ़ स्कूल में की गई किसी कार्यवाही के लिए केस दर्ज़ करने से पहले जांच होनी चाहिए। केरल उच्च न्यायालय के जस्टिस पीवी कून्हिकृष्णन ने आदेश देते हुए कहां के टीचर को बिना दुर्भावना पूर्ण इरादे के दी गई मामूली सज़ा के लिए आपराधिक केस से बचाया जाना चाहिए।
इसके साथ ही केरल हाई कोर्ट ने केरल के डीजीपी को सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया है। आदेश में कहा गया है कि इसको एक महीने में लागू किया जाए।
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मामला दर्ज़ करने से पहले हो जांच…………..
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगर कोई शिक्षक किसी छात्र को हल्की चुटकी काटता है, यह धक्का मारता है और इसके पीछे कोई दुर्भावना नहीं थी, तो यह कोई अपराधिक केस नहीं होना चाहिए। हालांकि, शिक्षक के पास छड़ी होना स्कूल में अनुशासन बनाए रखने के लिए पर्याप्त है। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि कोई छात्र या अभिभावक शिक्षक के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करता है तो उसके पहले जांच की जानी चाहिए। कोई केस दर्ज करें उससे पहले ठोस आधार का होना आवश्यक है।
जानिए क्या है मामला ?………………..
एक शिक्षक ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। शिक्षक पर आरोप था कि उसने छात्र को पीटा है। शिक्षक ने अपनी दलील में कहा कि वह छात्र को केवल पढ़ाई के प्रति गंभीर बनाना चाहता था। मामले की सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कहा कि माता-पिता बच्चों का स्कूल में दाखिला कराते हैं, तो शिक्षकों को अनुशासन के लिए जरूरी कदम उठाने की स्वतंत्रता देते हैं। कोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता के धारा 173 का हवाला दिया।
जिसमें कहा गया है कि ऐसेे अपराध जिसमें सज़ा 3 साल से अधिक लेकिन 7 साल से कम है। उनमें पुलिस प्रारंभिक जांच कर सकती है। कोर्ट ने कहा, शिक्षकों के मामले में यहीं प्रावधान लागूूूू होना चाहिए।
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