सुप्रीम कोर्ट ने तोड़फोड़ के ख़िलाफ़ अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया
यह याचिका अधिवक्ता फौजिया शकील के माध्यम से दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि दो लोगों ने यात्रा के बेटे पर शराब की दुकान के पास तब हमला किया जब मस्ज़िद से लौटने के बाद चिप्स खरीद रहा था। याचिका में कहा गया है कि रात में एक भीड़ परिवार के टिन शेड वाले घर में आई और उन पर हमला किया।
सुप्रीम कोर्ट ने तोड़फोड़ के ख़िलाफ़ अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया
- रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र के मालवण शहर के निजी निवासी की याचिका पर नोटिस जारी किया। इसमें उसके 14 वर्षीय बेटे पर भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के दौरान भारत विरोधी नारे लगाने का आरोप लगाने के बाद उसके कबाड़ की दुकान और घर को ध्वस्त करने के लिए अधिकारियों के ख़िलाफ़ अवमानना कार्यवाही की मांग की गई थी। याचिका किताबुल्लाह हमीदुल्लाह खान ने दायर की है।
यह मामला न्यायमूर्ति बी. आर. और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह के पीठ के समक्ष आया। याचिका में कहा गया है कि अधिकारियों ने एक तुच्छ शिकायत के बाद तोड़फोड़ की। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि पिछले महीने आयोजित चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान भारत और पाकिस्तान क्रिकेट मैच के दौरान भारत विरोधी नारे लगाए गए थे। याचिका में भारत विरोधी नारे लगाने के एफआईआर के दावे को ख़ारिज किया गया है।
यह भी पढ़ें – शहीद दिवस पर विशेष: कब मिलेगा भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को आधिकारिक शहीद का दर्जा?
दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा, नोटिस जारी करें
साथ ही मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को नोटिस दिए बिना, राजनीतिक दबाव के तहत ढहा दिया गया और बुलडोजर न्याय के ख़िलाफ़ शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लघंन किया गया।
यह याचिका अधिवक्ता फौजिया शकील के माध्यम से दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि दो लोगों ने याचिकाकर्ता के बेटे पर शराब की दुकान के पास तब हमला किया, जब वह मस्जिद से लौटने के बाद चिप्स खरीद रहा था। याचिका में कहा गया है कि रात में एक भीड़ परिवार के टीन शेड वाले घर में आई और उन पर हमला किया।
सचिन वराडकर नामक व्यक्ति की शिकायत पर उनके ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की गई और दंपत्ति को 24 फरवरी को हिरासत में ले लिया गया। अगले दिन उन्हें जमानत मिल गई। याचिका में दावा किया गया है कि घटना के बाद स्थानीय विधायक नगर निगम अधिकारियों को उनके और परिवार के सदस्यों के ख़िलाफ़ तत्काल कार्यवाही करने के लिए पत्र लिखा था।
इसके बाद नगर निगम अधिकारियों ने 24 फरवरी को टीन शेड की दुकान और एक कमरे वाले टीन शेड के घर को ध्वस्त कर दिया। याचिका में दावा किया गया है कि अधिकारियों ने आरोप लगाया कि यह एक “अवैध संरचना” थी।
पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नागरिकों की संपत्तियों को दस्त करना कानून के शासन के विपरीत हैं।
यह भी पढ़ें – रेल यात्रियों के लिए बड़ी खुशखबरी! भागलपुर-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस में अब LHB कोच…. देखें Video