सुप्रीम कोर्ट ने BJP मंत्री विजय शाह की माफी याचिका खारिज की, गिरफ्तारी पर रोक लेकिन जांच जारी

कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन कहने पर फंसे कैबिनेट मंत्री, कोर्ट ने कहा- "पहले ज़ुबान चलाते हो, फिर मगरमच्छ के आँसू बहाते हो"

  • सुप्रीम कोर्ट ने BJP मंत्री विजय शाह की माफी याचिका खारिज की, गिरफ्तारी पर रोक लेकिन जांच जारी
  • कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन कहने पर फंसे कैबिनेट मंत्री, कोर्ट ने कहा- “पहले ज़ुबान चलाते हो, फिर मगरमच्छ के आँसू बहाते हो”

रिपोर्ट : राजीव कृष्ण श्रीवास्तव : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्यप्रदेश के कैबिनेट मंत्री विजय शाह को एक बड़ा झटका दिया। कोर्ट ने उनके खिलाफ दायर माफी याचिका को सख्त शब्दों में खारिज कर दिया है। विजय शाह पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन करार दिया था, जिसे कोर्ट ने बेहद आपत्तिजनक और अमर्यादित बयान माना।

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जानिए क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

Supreme Court rejected BJP minister Vijay Shah's apology petition, ban on arrest but investigation continue
फोटो : सुप्रीम कोर्ट (सांकेतिक फोटो)

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा –“पहले आप भाषा का दुरुपयोग करते हैं और बाद में मगरमच्छ के आंसू बहाते हैं। आपने कहाँ और कब माफी मांगी, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है।”

हालांकि कोर्ट ने विजय शाह की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी है, लेकिन स्पष्ट कर दिया कि उनके खिलाफ आपराधिक जांच जारी रहेगी।

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मामला क्या है?

मंत्री विजय शाह ने कुछ दिनों पहले एक जनसभा में सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ अमर्यादित बयान दिया था, जिसमें उन्होंने उन्हें ‘आतंकवादियों की बहन’ बताया था। यह बयान मीडिया और सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ और आलोचना के केंद्र में रहा। इसके खिलाफ सोफिया कुरैशी ने आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था।

अब आगे क्या?

Supreme Court rejected BJP minister Vijay Shah's apology petition, ban on arrest but investigation continue
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब जांच एजेंसियों को मंत्री विजय शाह के खिलाफ स्वतंत्र जांच करने की अनुमति मिल गई है। यदि जांच में तथ्य मजबूत पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई और तेज़ हो सकती है।

पब्लिक रिएक्शन

सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की सराहना हो रही है। यूजर्स इसे न्याय की जीत बता रहे हैं और उम्मीद जता रहे हैं कि किसी भी पद पर बैठा व्यक्ति अगर मर्यादा लांघेगा, तो उसे जवाबदेह बनना ही पड़ेगा।

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