नानपारा रियासत की ज़मीन पर कब्जे और फर्जीवाड़े का मामला गहराया: जांच रिपोर्ट और अभिलेखीय साक्ष्य से खुली सच्चाई
अतुल अवस्थी : बहराइच। यूपी में जनपद बहराइच के नानपारा कस्बे की ऐतिहासिक रियासत की भूमि को लेकर चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया है। एक ओर जहां रियासत के वर्तमान प्रतिनिधि व वारिस शारिक अली की ओर से फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से ज़मीन हड़पने का आरोप है, वहीं अब प्रशासनिक जांच रिपोर्ट ने इस मामले को और भी स्पष्ट कर दिया है। भूखंड संख्या 7924 (पुराना नंबर 924) पर रियासत द्वारा दी गई लीज, किरायेनामा की शर्तें और वास्तविक कब्जे की स्थिति ने अब पूरे विवाद को गंभीर कानूनी मोड़ दे दिया है।
1937 में हुआ था किरायेनामा, सीमित भूमि पर ही निर्माण की शर्त
किरायेनामे की शर्तों के अनुसार, केवल वही भूमि किरायेदारी में शामिल मानी जाएगी जिस पर दुकान या मकान बनाया जाएगा, शेष भूमि रियासत में स्वतः निहित रहेगी। इजाजतनामा में यह भी शर्त स्पष्ट थी कि यदि एक वर्ष के भीतर निर्माण न हुआ तो लीज निरस्त मानी जाएगी।
केवल 2 बीघा पर निर्माण, बाकी भूमि अब भी परती, जांच आख्या में सच्चाई उजागर
जांच के दौरान पाया गया कि राम गुलाम द्वारा लगभग 2 बीघा भूमि पर ही निर्माण किया गया था जबकि शेष 1.5 बीघा भूमि अब भी परती अवस्था में है, जिस पर केवल झाड़-झंखाड़ मौजूद हैं। वर्तमान में उनके परिजन जुबलीगंज स्टेशन रोड पर मकान व दुकान में काबिज हैं जबकि शेष खाली भूमि का कोई वैध कब्जेदार नहीं है।
पुराने वाद का कोई कानूनी आधार नहीं, वारिसों को नहीं बनाया गया पक्षकार
इस भूमि से संबंधित एक वाद संख्या 574/92 नगर पालिका और राम गुलाम के मध्य 1998 में निपटाया गया था, लेकिन जांच में यह तथ्य सामने आया है कि उस वाद में रियासत नानपारा के असली स्वामी राजा सआदत अली या उनके उत्तराधिकारी पक्षकार नहीं थे। ऐसे में उस फैसले की वैधता संदेहास्पद हो जाती है।
फर्जी बैनामा कर हड़पने की कोशिश, एफआईआर दर्ज
जांच में यह भी सामने आया है कि गया प्रसाद के वंशजों ने इस भूमि पर फर्जी तरीके से कब्जा जमाने के लिए कई व्यक्तियों के नाम बैनामा कर दिया। जबकि ज़मीन पर उनका कोई वैध अधिकार नहीं है। इसके खिलाफ रियासत नानपारा की ओर से मौजूदा वारिस सैयद शारिक अली के मुख्तारआम सुधीर शुक्ला ने कोतवाली नानपारा में एफआईआर संख्या 0452/2024 दर्ज कराई है, जिसमें आईपीसी की धाराएं 419, 420, 467, 471 के तहत धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप लगे हैं।
उच्च न्यायालय में याचिका, लेकिन कोई स्पष्ट आदेश नहीं
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, विपक्षीगणों ने मामले में उच्च न्यायालय, लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल की थी, जिसमें केवल गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी गई है। लेकिन न्यायालय में इस भूमि को लेकर कोई स्पष्ट रोक या वाद विचाराधीन नहीं पाया गया है।
अभिषेक तिवारी ने की पुलिस-राजस्व संयुक्त कार्रवाई की मांग
प्रकरण को लेकर बहराइच के ग्राम नवादा निवासी अभिषेक तिवारी पुत्र शिवा तिवारी, जिन्होंने रियासत से विधिवत तौर पर शेष भूमि प्राप्त की है, ने प्रशासन से आग्रह किया है कि पुलिस और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम गठित कर भूखंड संख्या 7924 के शेष हिस्से (निकास रूपईडीहा-नानपारा रोड) को चिन्हांकित कर अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए, साथ ही उन्हें उनकी भूमि पर काबिज कराया जाए।
गौरतलब हो कि इस प्रकरण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ऐतिहासिक रियासतों की संपत्ति आज भी कानूनी संरक्षण के अभाव में अवैध कब्जों और फर्जीवाड़े की चपेट में है। जिला प्रशासन को अब इस गंभीर भूमि विवाद में निष्पक्ष कार्रवाई करनी होगी ताकि रियासत की वैध सम्पत्ति को सुरक्षित रखा जा सके।