उत्तराखंड के खानपुर विधानसभा सीट से विधायक उमेश कुमार की फेसबुक पोस्ट

ईरान सिर्फ इजरायल से नहीं लड़ रहा है, उसे अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ हथियार, तकनीक, इंटेलिजेंस और आर्थिक मदद प्राप्त है। पश्चिमी दुनिया भी उसके साथ है।

उत्तराखंड के खानपुर विधानसभा सीट से विधायक उमेश कुमार की फेसबुक पोस्ट

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : उत्तराखंड।

 

।। विधायक उमेश कुमार की फेसबुक पोस्ट ।।

ना तो इसराइल मेरा देश है, और ना ही मैं वहां पैदा हुआ हूं। ऐसे ही ईरान से कोई मेरा रिश्ता नहीं है, और ना ही मैं कभी यहां गया हूं।

इतिहास बनते हैं, बिगड़ते हैं, लिखे जाते हैं, मिटाएं जाते हैं, पर इतिहास में नाम लड़ने वालों का ही लिखा जाता है, तलवे चाटने वालों का नहीं।

एक 86 साल का एक व्यक्ति लगातार हुंकार भर रहा है, लड़ रहा है, इस व्यक्ति के लिए दो शब्द तो बनते हैं।

हां ईरान में यह साबित कर दिया है कि वह बुजदिल नहीं है। जो किसी महाशक्ति और उसके पिट्ठू से आमने-सामने टकराने की हिम्मत रखती है।

बुजदिल सिर्फ अपने से कमजोर से टकराने की हिम्मत रखते हैं। अपने से ताकतवर के सामने केंचुए की तरह रेंगने लगते हैं।

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लेकिन बहादुर अपने हक के लिए, अपने स्वाभिमान के लिए और अपने देश के गरिमा की रक्षा के लिए ताकतवर से ताकतवर से टकराने की हिम्मत रखते हैं।

ईरान के अपराजेय से कहे जाने वाले इजरायल को फिलहाल घुटने के बल लाकर खड़ा कर दिया है। वह अपने बाप अमेरिका से सीधे हमले की गुहार लगा रहा है।

ईरान सिर्फ इजरायल से नहीं लड़ रहा है, उसे अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ हथियार, तकनीक, इंटेलिजेंस और आर्थिक मदद प्राप्त है। पश्चिमी दुनिया भी उसके साथ है।

ईरान अकेले इजरायल के साथ पश्चिमी दुनिया और अमेरिकी सैन्य शक्ति से लोहा ले रहा है।

वह न्याय के पथ पर हैं। वह अपने देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए लड़ रहा है। वह किसी पर कब्जा करने के लिए किसी की संप्रभुता का हनन करने के लिए नहीं लड़ रहा है।

परमाणु बम बनाना या ना बनाना उसके अधिकार क्षेत्र का मामला है। जब दुनिया के अन्य देश बना सकते हैं, तो वह क्यों नहीं बना सकता, वह आजाद देश है।

कुछ लोग कह रहे हैं कि पश्चिमी दुनिया अमेरिका और इजरायल के संयुक्त सैन्य शक्ति के सामने हार जाएगा, हार जाएगा, तो हार जाएगा।

दुनिया की बहुत सी बहादुर कौमे लड़ते हुए हारी है, जीती हैं, बहादुर लोग हारते भी हैं, जीतते भी हैं, मरते भी हैं, मारे भी जाते हैं।

इससे तो इतिहास भरा पड़ा है, कायरों को मौत खुद चुनती है, बहादुर अपने हक, स्वाभिमान और राष्ट्र की गरिमा के लिए युद्ध मैदान में उतरते हैं।

वहां उन्हें कई बार मौत चुन लेती है, यह मौत शानदार होती है, शहादत की मौत होती है, सबसे अच्छी मौत होती है।

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