SDO का अजब-गजब कारनामा! संविदा कर्मचारी से उठक-बैठक कराई, वीडियो वायरल
राजस्व कम आने पर संविदा कर्मचारी को सजा देने के नाम पर ऑफिस में ही उठक-बैठक करवाई
रिपोर्ट : आयुष पांडेय
SDO का अजब-गजब कारनामा! रायबरेली। उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में बिजली विभाग के एक अधिकारी का हैरान कर देने वाला रवैया सामने आया है। ऊंचाहार तहसील में तैनात एसडीओ (SDO) इंदु शेखर ने राजस्व कम आने पर संविदा कर्मचारी को सजा देने के नाम पर ऑफिस में ही उठक-बैठक करवाई। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला?

ऊंचाहार तहसील क्षेत्र में बिजली विभाग के एसडीओ इंदु शेखर ने एक संविदा कर्मचारी सूरज भान को ऑफिस में बुलाया और कथित रूप से राजस्व कम आने पर उसे डांट-फटकार लगाई। लेकिन बात यहीं नहीं रुकी, एसडीओ साहब इतने नाराज हो गए कि उन्होंने कर्मचारी को उठक-बैठक करने का आदेश दे दिया।
कर्मचारी मजबूरी में SDO के आदेश का पालन करता दिखा, और किसी ने इस पूरी घटना का वीडियो बना लिया। वीडियो में कर्मचारी को बार-बार उठक-बैठक करते हुए देखा जा सकता है, जबकि SDO ऑफिस में कुर्सी पर बैठे नजर आ रहे हैं। यह वीडियो सामने आते ही हंगामा मच गया और बिजली विभाग की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
वीडियो वायरल होते ही मचा हड़कंप… देखें Video
जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, लोगों ने SDO की इस हरकत की कड़ी निंदा शुरू कर दी। आम जनता से लेकर विभागीय कर्मचारी तक इस घटना पर सवाल उठा रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि अगर राजस्व कम आया था, तो इसकी जांच की जानी चाहिए थी, न कि किसी कर्मचारी को सार्वजनिक रूप से इस तरह सजा दी जानी चाहिए थी।
बिजली विभाग और प्रशासन की प्रतिक्रिया
बिजली विभाग के उच्च अधिकारियों तक यह मामला पहुंच चुका है। हालांकि, अभी तक SDO इंदु शेखर की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर उचित कार्रवाई होगी।
स्थानीय प्रशासन भी इस वीडियो को संज्ञान में लेकर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। यदि SDO पर लगे आरोप सही पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
जनता में गुस्सा, कर्मचारियों में डर
इस घटना के बाद बिजली विभाग में संविदा कर्मचारियों में डर का माहौल बन गया है। वे अब इस बात से डरे हुए हैं कि कहीं उनके साथ भी इसी तरह का व्यवहार न किया जाए। वहीं, स्थानीय लोगों में भी प्रशासन के रवैये को लेकर रोष देखा जा रहा है।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
अब सवाल यह उठता है कि क्या इस मामले में SDO पर कोई ठोस कार्रवाई होगी या फिर यह मामला धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला जाएगा? विभागीय अधिकारियों के बयान के अनुसार, मामले की जांच जारी है, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है।
इस पूरे घटनाक्रम ने सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले संविदा कर्मचारियों की स्थिति पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या सरकारी विभागों में कर्मचारियों के साथ ऐसा ही बर्ताव किया जाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है।