सरिता से शरद बन सविता से रचाया विवाह फिर बन गए एक बेटे के पिता, घर में गूंजी किलकारी-बजी बधाइयां

काफी दिलचस्प है सरिता सिंह से शरद और फिर बेटे का पिता बनने की ख़ुशखबर

मनोज मेहरा : इंदौर, मध्यप्रदेश। एक ऐसी सच्ची अनोखी खबर, जो संघर्ष, साहस और आत्म-स्वीकृति की मिसाल पेश करती है। यह कहानी है सरिता सिंह की, जो जन्म से एक लड़की थीं, लेकिन उनके मन में हमेशा एक लड़के की पहचान थी। हार्मोन थेरेपी और सर्जरी के जरिए उन्होंने खुद को शरद सिंह के रूप में स्थापित किया और अब, वे न केवल एक पति हैं, बल्कि हाल ही में वह एक बेटे के पिता भी बन गए हैं। उनके घर में किलकारी गूंजी और पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई।

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सरिता से शरद सिंह बनने की राह

Sarita became Sharad and married Savita again became the father of a son, the echoed in the house
फोटो : नवजात बेटे को गोद में खिलाते शरद सिंह व अस्पताल के बेड पर भर्ती उनकी पत्नी सविता

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर निवासी शरद सिंह (पूर्व में सरिता सिंह) का जीवन हमेशा से ही अलग था। बचपन से ही उनका व्यवहार लड़कों की तरह था। उन्होंने अपने शरीर और पहचान को लेकर संघर्ष किया और आखिरकार साल 2020-21 में उन्होंने पुरुष बनने की प्रक्रिया शुरू की।

लखनऊ में उन्होंने हार्मोन थेरेपी ली, जिससे उनकी आवाज भारी हो गई और चेहरे पर दाढ़ी-मूंछें उगने लगीं। इसके बाद 2023 में इंदौर में उनकी जेंडर बदलने की सर्जरी हुई। इंदौर के तत्कालीन डीएम उमेश प्रताप सिंह ने उन्हें आधिकारिक रूप से पुरुष होने का प्रमाण पत्र दिया और सरिता सिंह हमेशा के लिए शरद सिंह बन गए।

शादी और नए जीवन की शुरुआत

जेंडर चेंज के बाद शरद सिंह ने नवादा की रहने वाली अपनी महिला मित्र सविता से विवाह किया। यह शादी समाज के लिए एक मिसाल थी, जिसने यह साबित किया कि सच्चा प्यार किसी बंधन में नहीं बंधता।

शादी के बाद उनका जीवन एक नई दिशा में आगे बढ़ा और हाल ही में सविता ने हाल ही में एक बेटे को जन्म दिया। शरद सिंह, जो अब एक पति और पिता दोनों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, अपनी इस नई भूमिका से बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा, “यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी खुशी है। मैंने एक नई पहचान हासिल की और अब मैं अपने बेटे के साथ इस दुनिया में अपनी नई पहचान को गर्व से जी रहा हूं।”

परिवार और समाज की प्रतिक्रिया

शरद के इस सफर में उनके परिवार ने उनका पूरा साथ दिया। हालांकि, समाज के कुछ लोगों की ओर से उन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। शरद सिंह, जो अब एक प्राइमरी स्कूल में सहायक प्राध्यापक हैं, अपने जीवन के इस नए अध्याय को पूरे गर्व और आत्मविश्वास के साथ जी रहे हैं।

एक मिसाल बनी यह कहानी

Sarita became Sharad and married Savita again became the father of a son, the echoed in the house
फोटो : शरद सिंह

शरद सिंह की यह यात्रा समाज के उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपनी पहचान को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने यह साबित किया कि अगर इंसान अपने सपनों और पहचान के प्रति सच्चा है, तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती।

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