रुपईडीहा में मेडिकल स्टोर्स पर औषधि निरीक्षक की कार्रवाई, लेकिन बिना लाइसेंस दुकानों पर सवाल बरकरार
एसडीएम के निर्देश पर हुई छापेमारी, सैंपल जांच के लिए भेजे गए, स्थानीय लोगों ने उठाए सवाल - बिना लाइसेंस की नशीली दवा बेचने वाली दुकानों पर क्यों नहीं होती कार्रवाई?
रिपोर्ट : संतोष कुमार शुक्ला : रुपईडीहा : बहराइच। उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले के रुपईडीहा बाजार में बीते दिनों एक विशेष छापेमारी अभियान चलाया गया। यह कार्रवाई उपजिलाधिकारी नानपारा के निर्देश पर की गई, जिसमें तहसीलदार अंबिका चौधरी और औषधि निरीक्षक विनय कृष्णा ने कई मेडिकल स्टोर्स पर छापा डाला। मकसद साफ था—गलत, अनधिकृत या नशीली दवाओं की बिक्री पर लगाम लगाना और दवा कारोबार को नियमों के दायरे में लाना। लेकिन इस कार्रवाई के बाद लोगों के मन में कई सवाल भी खड़े हो गए हैं।
जांच की कार्रवाई: लाइसेंसी मेडिकल स्टोर्स पर सख्ती
तहसीलदार अंबिका चौधरी ने बताया कि सरकार की मंशा है कि जनता को सिर्फ सुरक्षित और प्रमाणिक दवाएं ही मिलें। साथ ही, किसी भी हाल में नशीली दवाओं का गैरकानूनी धंधा नहीं पनपने दिया जाएगा।
स्थानीय लोगों के सवाल: बिना लाइसेंस दुकानों पर कार्रवाई कब?
छापेमारी के बाद स्थानीय लोगों ने विभागीय कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि रुपईडीहा में नशीली दवाओं की बिक्री लगातार बढ़ रही है, और यह नशे की लत को बढ़ावा दे रही है।
लोगों का आरोप है कि जब भी छापा पड़ता है, तो वह केवल लाइसेंसधारी मेडिकल स्टोर्स पर ही पड़ता है, जबकि बाजार में ऐसी कई दुकानें खुलेआम चल रही हैं जिनके पास कोई लाइसेंस नहीं है। इन दुकानों पर सिर्फ नशीली दवाओं की बिक्री होती है और नशे के आदी युवाओं की भीड़ भी हमेशा दिखती है।
एक स्थानीय नागरिक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हम रोज़ देखते हैं कि कुछ खास दुकानों पर नशे के शौकीनों की लाइन लगी रहती है, लेकिन विभाग की नज़र शायद वहां तक नहीं पहुंचती। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह कार्रवाई सिर्फ दिखावे की है?”
जरूरत है निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई की
इस पूरे मामले ने एक बार फिर औषधि विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि नशे के कारोबार को सच में रोकना है तो सिर्फ लाइसेंसी दुकानों पर सख्ती नहीं, बल्कि बिना लाइसेंस की अवैध दुकानों पर भी उतनी ही सख्ती जरूरी है। वरना यह छापेमारी सिर्फ कागज़ों की खानापूर्ति बनकर रह जाएगी।