बहराइच के होनहारों ने नीट परीक्षा 2025 में लहराया परचम, मुकेश तन्मय को मिली ऑल इंडिया 36वीं रैंक
घर पर रहकर की तैयारी, पहली ही कोशिश में बहराइच के छात्रों ने देशभर में बनाया नाम
- बहराइच के होनहारों ने नीट परीक्षा 2025 में लहराया परचम, मुकेश तन्मय को मिली ऑल इंडिया 36वीं रैंक
- घर पर रहकर की तैयारी, पहली ही कोशिश में बहराइच के छात्रों ने देशभर में बनाया नाम
पुंडरीक पीके पांडेय : बहराइच। NTA द्वारा आयोजित नीट परीक्षा 2025 में बहराइच के होनहार छात्रों ने बेहतरीन प्रदर्शन कर जिले का मान बढ़ाया है। पुरैना गायघाट निवासी और केंद्रीय विद्यालय लखनऊ के प्राचार्य संजय मिश्र के पुत्र मुकेश तन्मय ने ऑल इंडिया रैंकिंग में 36वीं रैंक प्राप्त कर जिले को गौरवान्वित किया है।

मुकेश ने कुल 720 में से 661 अंक अर्जित किए हैं, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। CBSE बोर्ड से इंटरमीडिएट परीक्षा इसी वर्ष पास करने वाले मुकेश ने प्रथम प्रयास में यह सफलता हासिल की और पूरी तरह घर पर रहकर ही पढ़ाई की।
उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुजनों को दिया है। गौरतलब है कि मुकेश के बड़े भाई अनुराग मिश्र इंजीनियर हैं, जो पहले से परिवार की शैक्षणिक प्रतिष्ठा को ऊँचाई दे रहे हैं।
गुदड़ी के लाल भी पीछे नहीं
गुदड़ी निवासी विनय मिश्र के पुत्र कुमार शौमिल ने 576 अंक प्राप्त कर 4110वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने बुद्धा पब्लिक स्कूल से इंटरमीडिएट में 93.8% अंक हासिल किए थे। यह सफलता उनकी निरंतर मेहनत और समर्पण का परिणाम है।
करियर मंत्र के छात्र लक्ष्य गुप्ता की शानदार उपलब्धि
पुलिस लाइन स्थित करियर मंत्र कोचिंग संस्थान के छात्र लक्ष्य गुप्ता ने 540 अंक प्राप्त कर 17210वीं रैंक हासिल की है। लक्ष्य का एमबीबीएस गवर्नमेंट सीट पर चयन लगभग तय माना जा रहा है।
लक्ष्य गुप्ता ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, परमपिता परमेश्वर और कोचिंग डायरेक्टर सौरभ सर को दिया। उन्होंने कहा “यदि आप एक लक्ष्य निर्धारित कर दृढ़ निश्चय और कठिन परिश्रम से पढ़ाई करते हैं, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।”
NTA की सख्ती और पारदर्शिता से कट ऑफ आया नीचे
नीट 2025 की परीक्षा NTA की निगरानी में पारदर्शी और सख्त तरीके से आयोजित की गई, जिससे कट ऑफ स्कोर अपेक्षाकृत कम रहा। बावजूद इसके, बहराइच के होनहारों ने अपनी प्रतिभा के दम पर शानदार प्रदर्शन किया।
बहराइच की प्रतिभाओं ने फिर साबित किया – संसाधनों से ज़्यादा ज़रूरी है समर्पण
इन सफलताओं से यह साफ है कि बहराइच जैसे गैर-मेट्रो जिले से भी देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में सफलता पाई जा सकती है, अगर मेहनत, लगन और लक्ष्य स्पष्ट हो।