दीपक मीणा ने संभाला गोरखपुर के जिलाधिकारी का पदभार
आईआईटी खड़गपुर से पढ़े, 2011 बैच के आईएएस अधिकारी रह चुके हैं कई ज़िलों के डीएम, अब गोरखपुर में दिखाएंगे प्रशासनिक कुशलता
- दीपक मीणा ने संभाला गोरखपुर के जिलाधिकारी का पदभार
- आईआईटी खड़गपुर से पढ़े, 2011 बैच के आईएएस अधिकारी रह चुके हैं कई ज़िलों के डीएम, अब गोरखपुर में दिखाएंगे प्रशासनिक कुशलता
रिपोर्ट : बाबूलाल सक्सेना : गोरखपुर। गोरखपुर ज़िले को एक नया जिलाधिकारी मिला है। 2011 बैच के आईएएस अधिकारी दीपक मीणा ने ट्रेज़री पहुंचकर गोरखपुर के जिलाधिकारी पद का कार्यभार ग्रहण कर लिया। मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले श्री मीणा प्रशासनिक अनुशासन, तकनीकी दक्षता और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जाने जाते हैं।

आईएएस अधिकारी दीपक मीणा ने गोरखपुर के जिलाधिकारी के रूप में पदभार ग्रहण किया। इस अवसर पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं और परियोजनाओं को त्वरित गति से लागू करना उनकी पहली जिम्मेदारी होगी। साथ ही, नवसृजित परियोजनाओं के लिए भूमि उपलब्ध कराना और उन्हें शीघ्र पूर्ण कराना भी प्राथमिकता में रहेगा।
श्री मीणा ने कहा कि हर फरियादी को न्याय मिलना चाहिए, और इसके लिए जिले के सभी कार्यालयों को अधिक उत्तरदायी और संवेदनशील बनाया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर प्राप्त शिकायतों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित किया जाएगा।
दीपक मीणा ने न्यायिक लंबित मामलों के बारे में कहा कि वे अधिवक्ताओं के साथ समन्वय बनाकर शीघ्र निस्तारण का प्रयास करेंगे।
दीपक मीणा का प्रशासनिक सफर
- जन्म: 15 जुलाई 1986, राजस्थान
- शैक्षणिक योग्यता: आईआईटी खड़गपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक
- पूर्व में नौकरी: टाटा स्टील
- UPSC सफलता: 2010 की परीक्षा में चयन, मई 2012 तक मसूरी में प्रशिक्षण
- पहली पोस्टिंग : अलीगढ़ में
- पूर्व पदस्थापन: आजमगढ़ (ज्वाइंट मजिस्ट्रेट)
- मेरठ, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, गाजियाबाद (जिलाधिकारी)
- आगरा, मैनपुरी, सहारनपुर में भी सेवाएं
जनवरी 2025 में उन्हें गाजियाबाद का डीएम बनाया गया था, और अब गोरखपुर में जिलाधिकारी पद की जिम्मेदारी संभाली है।
खास बातें
- समय के पाबंद अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं
- तकनीकी पृष्ठभूमि होने से योजनाओं की डिजिटल निगरानी और रियल टाइम फीडबैक के लिए विशेष प्रयास करते हैं
- आम जनता की सुनवाई और संतुलित प्रशासनिक दृष्टिकोण को प्राथमिकता देते हैं।