राजस्व वादों की समीक्षा में लापरवाही पर डीएम मोनिका रानी गुस्सा, एसडीएम का स्थानांतरण, अन्य अफसरों पर कार्रवाई
मिहींपुरवा तहसील पर औचक निरीक्षण, धारा 24, 34 व 67 के वादों की गहन समीक्षा कर तहसील में अभिलेखों की साफ-सफाई और जनसुविधाओं की गुणवत्ता को लेकर दिए सख्त निर्देश
- राजस्व वादों की समीक्षा में लापरवाही पर डीएम मोनिका रानी गुस्सा, एसडीएम का स्थानांतरण, अन्य अफसरों पर कार्रवाई
- मिहींपुरवा तहसील पर औचक निरीक्षण, धारा 24, 34 व 67 के वादों की गहन समीक्षा कर तहसील में अभिलेखों की साफ-सफाई और जनसुविधाओं की गुणवत्ता को लेकर दिए सख्त निर्देश
अजय पाठक : बहराइच। राजस्व मामलों के त्वरित और गुणवत्ता-पूर्ण निस्तारण को लेकर जिलाधिकारी मोनिका रानी ने तहसील मिहींपुरवा (मोतीपुर) का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 24, 34 व 67 के अंतर्गत दर्ज वादों की गहन समीक्षा की और संबंधित अफसरों की जिम्मेदारियों का मूल्यांकन किया। समीक्षा के दौरान लापरवाही मिलने पर डीएम गुस्सा दिखीं।
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वादों की स्थिति और डीएम की सख्त कार्यवाही

निरीक्षण में डीएम ने पाया कि तहसील में राजस्व वादों के निस्तारण में लापरवाही और अनावश्यक देरी हो रही है। समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी मोनिका रानी को पता चला कि धारा 24 क़े कुल 57 वाद लंबित हैं जिसमें 40 समय सीमा के अंदर और 17 मामले समय सीमा के बाद भी लंबित हैं।
जिलाधिकारी मोनिका रानी में बताया कि 1-3 वर्ष पुराने 10 पत्रावलियों की समीक्षा हुई। धारा 34 क़े कुल 1108 वाद लंबित मिले, जिसमें 1013 मामले समयसीमा के अंदर और 95 समयसीमा के उपरांत लंबित मिले।
समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी ने 3-5 वर्ष पुराने पत्रावलियों की भी गहन समीक्षा की।
धारा 67 क़े कुल 246 वाद लंबित मिले, जिसमें 215 मामले समयसीमा के अंदर और 21 मामले समयसीमा क़े उपरांत लंबित मिले।
डीएम ने समीक्षा के दौरान पाया कि एसडीएम द्वारा पत्रावलियों की समीक्षा में लापरवाही बरती गई है। जिलाधिकारी ने बताया कि जन समस्याओं क़े प्रति लापरवाही बरतने के मामले में एसडीएम का तत्काल प्रभाव से स्थानांतरण कर दिया गय है साथ ही तहसीलदार को विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है। वहीं राजस्व निरीक्षक व संग्रह अमीन को जिला मुख्यालय पर सम्बद्ध कर दिया गया है।
तहसील कार्यालय की व्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने जन शिकायतों के गुणवत्तापरक व समयबद्ध निस्तारण पर बल दिया। अभिलेखों के रख-रखाव, भवन की सफाई, सुरक्षा व्यवस्था व फरियादियों की मूलभूत सुविधाओं का जायजा लिया।
जन्म, मृत्यु, आय व जाति प्रमाण पत्रो के निर्गमन में कोई भी लापरवाही न हो, इसके निर्देश दिए और कहा कि “कोई भी वाद समयसीमा उपरांत लंबित न रहे। सभी मामलों का शीघ्र निस्तारण अनिवार्य है।”
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