रिपोर्ट: अमित कुमार : भागलपुर। बिहार के भागलपुर ज़िले में नारायणपुर अंचल कार्यालय उस समय अफरातफरी का केंद्र बन गया जब एक युवक ने वहां ज़हर खाकर आत्महत्या की कोशिश की। युवक का आरोप है कि जमीन विवाद से जुड़ी शिकायत पर लगातार अनदेखी की जा रही थी और उसे इंसाफ नहीं मिल रहा था। इस घटना ने स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अरुण ने पहले अंचलाधिकारी से लेकर एसडीएम तक शिकायत की थी। जांच के बाद एसडीएम ने धारा 133 के तहत अरुण के पक्ष में फैसला भी दिया था। लेकिन अरुण जब रोजगार के सिलसिले में बाहर चले गए और वापस लौटे, तो उन्होंने देखा कि विवादित ज़मीन पर रंजय ठाकुर मकान बनवा रहा है।
इससे परेशान होकर अरुण दोबारा नारायणपुर अंचल कार्यालय पहुंचे। वहां अंचलाधिकारी मौजूद नहीं थे, लेकिन एक कर्मचारी ने उनका आवेदन लिया। आरोप है कि कुछ दिनों बाद जब अरुण फिर वहां पहुंचे, तो कर्मचारियों ने साफ कहा कि उन्होंने कोई आवेदन दिया ही नहीं।
इस उपेक्षा और अन्याय से दुखी होकर अरुण ठाकुर ने अंचल कार्यालय परिसर में ही ज़हर खा लिया। घटना के तुरंत बाद नारायणपुर पुलिस मौके पर पहुंची और अरुण को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिलहाल उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।
“मैंने हर जगह आवेदन दिया, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। मेरे साथ अन्याय हुआ है और अधिकारियों ने मेरी शिकायत को ही नकार दिया। मैं बहुत निराश हो चुका था।”
— अरुण ठाकुर, पीड़ित
स्थानीय प्रशासन पर सवाल
इस पूरी घटना ने स्थानीय प्रशासनिक प्रणाली की लापरवाही को उजागर कर दिया है। जहां एक नागरिक न्याय की आस में बार-बार कार्यालयों के चक्कर काटता रहा, वहीं उसे केवल निराशा ही हाथ लगी। सवाल उठता है कि अगर एसडीएम के आदेश के बाद भी कार्रवाई नहीं होती, तो आम आदमी कहां जाए?
अब देखने वाली बात होगी कि इस संवेदनशील मामले में प्रशासन क्या कदम उठाता है। क्या दोषियों पर कोई कार्रवाई होगी या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?